दोस्त हमारे देश में कई लोग है जो बेघर है और वे सडको और रेलवे स्टेशन, मदिरो के बाहर अपना जीवन बिता रहे है ऐसे ही तमिलनाडु का एक व्यक्ति भिखारी के रूप में 8 महीने पहले तक जीवन बिता रहा था। मंदिरों के बाहर और रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म्स पर जी रहा था। मगर आज उसकी ज़िन्दगी बिलकुल पलट चुकी है। उनकी ज़िन्दगी को पलटने का श्रेय एक युवा प्रोफ़ेसर को जाता है। आज वो अपनी ख़ुद की टी शॉप चला रहे हैं और गुज़ारा कर रहे हैं।
बता दे की 39 साल के वेंकटरमन ने TOI से हुई बातचीत में कहा, “लॉकडाउन की शुरुआत में उनका जीवन बदल गया, जब एक युवा कॉलेज के प्रोफेसर ने उन्हें एक मंदिर के पास भोजन बांटते वक़्त बात की। “मैं एक शराबी था। मेरी पत्नी, माता-पिता, मेरे बेटे ने मुझ पर हार मान ली थी। ”
प्रोफ़ेसर पी. नवीन कुमार कुमार पिछले 6 साल से जेकेकेएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में पढाते हैं। वो सड़कों पर रहने वाले भिखारी और बेसहारा लोगों का पुनर्वास कर रहे हैं। कुमार ने कहा, “यह तब शुरू हुआ जब मैं अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री कर रहा था। मेरे पास रात के खाने के लिए सिर्फ 10 रुपये थे, मैंने खाना खरीदने के लिए सड़क के किनारे स्टॉल का रुख किया और इस दौरान मेरी मुलाकात भिखारियों से होती थी। कभी-कभी भिखारी पैसे के लिए उनके पास आते थे, इसलिए वह उन्हें रात का खाना खरीद कर दे देते और खुद भूखे सो जाते थे। ”
उन्होंने कहा, “मेरे पिता विकलांग हैं और मेरी मां बिस्तर पर पड़ी है, इसलिए मुझे पता है कि पैसे न होने की स्थिति में भूख क्या होती है। ” नवीन ने TOI को बताया, “कुछ भिखारी ऐसे व्यवसायी निकले, जो अपना सब कुछ खो चुके थे, या मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले लोग, जिन्हें परिवारों ने अलग कर दिया था या फिर सिर्फ बुजुर्गों को उनके परिवारों द्वारा निकाल दिया गया था। ” इसके बाद उन्होंने अपने कुछ क्लासमेट्स के साथ मिलकर आचार्यम ट्रस्ट की स्थापना की।
2016 के बाद से, अपने वेतन, छोटे दान और अच्यम ट्रस्ट के माध्यम से 18 जिलों में 400 स्वयंसेवकों की एक टीम के साथ, नवीन ने 572 भिखारियों को पुनर्स्थापित किया और 5,000 से अधिक का पुनर्वास किया। ”इसके ज़रिये नए भिखारियों की हिस्ट्री डिटेल्स लॉग इन करते हैं और फिर उन्हें भोजन, आश्रय, कपड़े के चार सेट दे कर पुनर्वास करते हैं। अपने काम के लिए उन्हें 2015 में युवा मामलों के मंत्रालय द्वारा सेवा के लिए सम्मानित किया गया। बताते चलें, अब तक नवीन ने 5,000 से अधिक भिखारियों को सरकार द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में रखा या उन्हें परिवारों के साथ फिर से मिलाने का काम किया है।