आखिरी वक्त में कादर खान की हो गई थी इतनी बुरी हालत, बॉलीवुड में चाहते थे एक रोल लेकिन किसी ने नहीं सुनी उनकी बात!

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दोस्तों अपने ज़माने के पॉपुलर एक्टर रहे  को कॉमेडी के बादशाह के रूप में भी देखा जाता है और उन्होंने अनेक फिल्मों के डायलोग भी लिखे है। इस बात में कोई शक नहीं है अमिताभ को महानायक बनाने के पीछे अगर किसी ने सबसे ज्यादा मेहनत करी थी वो कादर खान थे। उन्ही के लिए डायलोग ने अमिताभ को अर्स से पर्श तक ला दिया था। लेकिन कादर खान का आखिरी वक्त काफी दयनीय था उनकी जिंदगी के कुछ सपने थे जो अधूरे रहे गये। वह बॉलीवुड से बहुत कुछ चाहते थे लेकिन बॉलीवुड ने उनकी तरफ झांककर भी नहीं देखा। कादर खान अपनी अंतिम साँसों के वक्त भी किसी का इंतजार कर रहे थे लेकिन उनके बारें में किसी ने कुछ नहीं पूछा यहाँ तक की उनकी आखिरी इच्छा क्या है किसी ने नहीं पूछी। कादर खान के बेटे ने भी बॉलीवुड पर एक आरोप लगाया है। आइये जानते है पूरा मामला क्या है।

कादर खान ने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है फिल्मों वह दिखते है इसलिए उन्हें याद किया जाता है लेकिन बहुत कम लोगों को पता है की वह डायलोग राइटर थे। उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों के डायलोग लिखे है। उन्होंने सबसे ज्यादा किसी एक्टर की फिल्मों के डायलोग लिखे है वो अमिताभ बच्चन है। अमिताभ बच्चन को महानायक बनाने में कादर खान का ही हाथ था उन्होंने उनके डायलोग इतने अच्छे लिखे की आज भी अनेक डायलोग अमिताभ बोलते है।लेकिन कादर खान को इन सब का कोई श्रेय नहीं मिला और अंतिम समय तक किसी भी एक्टर ने उनका हाल नहीं पूछा। यहाँ तक की उन्होंने अक्सर अपने पसंदीदा हीरो से बात करनी चाही लेकिन किसी ने समय ना होने की वजह से कॉल नहीं किया।

कादर खान के बेटे ने बताया की जब वह 31 दिसंबर 2018 को गुजरे उस वक्त से कुछ समय पहले उन्होंने बताया की उनका अमिताभ बच्चन से बात करने का मन है और जिन कलाकरों ने उनके साथ काम किया उनसे बात करने का मन है। मैंने उनके नंबर निकालकर जब उन्हें कॉल किया तो किसी ने समय नहीं होने का बहाना बनाया तो किसी ने कॉल भी नही उठाई। वहीँ अमिताभ बच्चन ने उनसे बात करी जो की उन्हें काफी अच्छा लगा लेकिन उन्हें काफी दुःख हुआ जब उनके साथ काम करने वाले कलाकारों ने उन्हें बुढ़ापे में ज्यादा तवज्जु नहीं दिया।

बेटे ने बताया की पापा को पैसों की कमी नहीं थी मैं अच्छा ख़ासा कमा रहा हूँ लेकिन वह अकेले थे उन्हें अपने साथी चाहिए थे और अंतिम समय में उन्हें किसी ने याद ही नहीं किया। वह गोविंदा को बहुत मानते थे लेकिन गोविंदा ने भी उनका हाल ना पूछा। अंतिम समय में वह काफी कमजोर हो गये थे लेकिन वह बॉलीवुड में एक रोल चाहते थे लेकिन उम्र ज्यादा होने की वजह से किसी ने उन्हें मौका नहीं दिया।आज भी जब पापा की वह बात याद करता हूँ तो सोचता हूँ बॉलीवुड ने उन्हें बहुत कुछ देकर भी उनसे बहुत कुछ छीन लिया था। उन्हें आखिरी वक्त में कुछ ख़ास तवज्जु नहीं दिया जबकि उन्होंने बॉलीवुड को अपनी पूरी जिंदगी दे दी थी।