‘प्रेम नाम है मेरा प्रेम चोपड़ा’ ये वो डायलॉग है, जिसने प्रेम को दिलों पर राज करवा दिया है. वैसे, तो उनका हर किरदार बहुत यादगार रहा है, लेकिन उनके बोले गए कुछ डायलॉग्स ऐसे भी हैं, जो आज तक अक्सर लोगों की जुबां से सुनने को मिल जाते हैं. 23 सितंबर, 1935 को लाहौर में जन्में प्रेम चोपड़ा बटवारे के बाद परिवार के साथ भारत आकर शिमला में बस गए. यहीं से ही उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की और पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन हुईं. चलिए आज प्रेम चोपड़ा के 88वें जन्मदिन के मौके पर उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं.
कॉलेज के दिनों में प्रेम चोपड़ा कई नाटकों में हिस्सा लिया करते थे. ऐसे में वक्त के साथ-साथ उनका रुझान फिल्मों की ओर भी बढ़ता गया. एक्टिंग के लिए प्रेम का प्यार इतना बढ़ गया कि उन्होंने फैसला कर लिया कि वह इसी को अपना करियर भी बनाएंगे. हालांकि, पिता इस फैसले में प्रेम के साथ नहीं थे. वो कभी नहीं चाहते कि उनका बेटा अभिनय करे, बल्कि पिता की ख्वाहिश थी कि वह प्रेम चोपड़ा को डॉक्टर या IAS ऑफिसर बनाएं, लेकिन प्रेम कहां किसी की सुनने वाले थे.
पिता की वजह से प्रेम ने शुरुआती तौर पर डाक विभाग में काम किया, लेकिन कुछ ही समय में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर मुंबई का रुख कर लिया. एक्टिंग में अपनी किस्मत आजमाने के लिए प्रेम हर दिन निर्माता-निर्देशकों के ऑफिस के चक्कर काटते थे. गुजारे के लिए यहां उन्होंने एक छोटी सी कंपनी में काम भी शुरू कर दिया, साथ ही वह फिल्मों में काम भी तलाशते रहते. इसके बाद उन्होंने एक अखबार के प्रमोशन के लिए काम शुरू कर दिया.
अखबार के प्रमोशन के दौरान ही प्रेम चोपड़ा की मुलाकात कुलदीप सहगल से हुई. उन्होंने प्रेम को अपनी एक फिल्म में छोटा सा रोल दे दिया, लेकिन इससे उन्हें कोई पहचान नहीं मिल पाई. इसके बाद प्रेम एक बड़ा पंजाबी फिल्म ‘चौधरी करनाल सिंह’ का हिस्सा बने. फिल्म की रिलीज से पहले ही उन्हें पता चला कि उनकी मां को पेट का कैंसर है. इस बाद की खबर मिलते ही वह तुरंत मां से मिलने शिमला आ गए और उनके आने के 2-3 दिन बाद ही मां का निधन हो गया. एक्टर को इस बात का हमेशा मलाल रहा कि उनकी मां उन्हें सिल्वर स्क्रीन पर चमकते हुए नहीं देख पाईं.