दोस्तों किस्मत और कर्म का मिलन जहाँ पर भी हो जाता है तो वहां पर सफलता निश्चित तौर पर मिल ही जाती है और फिर तो आपको आगे बढ़ने से भला रोक भी कौन सकता है? ये आज के समय का सत्य है और इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण अगर हम लोग ढूँढने जाये तो सुदीप दत्ता से बड़ा और कोई मिल नही सकता, क्योंकि ये वो व्यक्ति है जिन्होंने अपने जीवन की शुरुआत शून्य से की थी और आज वो जिस मुकाम पर है वो बाकी लाखो करोडो लोगो के लिए तो बस सिर्फ एक सपना भर ही है।
बता दे की सुदीप दत्ता के बचपन और किशोरावास्था की बात करे तो ये समय उनके लिए काफी अधिक संघर्ष से भरा हुआ बीता है। उनके पिता सेना में थे जिनको गोली लगने के बाद में उनका शरीर लकवा से भर गया। ऐसे में उनके और बड़े भाई के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी। इसी बीच खुद सुदीप दत्ता भी बीमार पड़ने लगे थे। उनकी हालत कुछ अधिक अच्छी नही रहती थी। इसी बीच बड़े बेटे का निधन हो गया और फिर पिताजी का निधन भी हो गया। अब बस अकेले सुदीप ही थे।
अब सुदीप की हालत ऐसी हो गयी कि उनको कुछ काम तो करना ही था सो वो अपना जो भी बचा कूचा था उसे लेकर के मुंबई पहुँच गये जहाँ पर पैकेजिंग वगेरह के काम करके जैसे तैसे वो गुजारा करने लगे। उनकी जिन्दगी बहुत ही बुरे तरीके से गुजर रही थी। वहाँ वो जिस कम्पनी में काम कर रहे थे वो भी घाटे में चली गयी। इसी बीच सुदीप ने कहा कि जो कम्पनी है वो उसे खरीदना चाहते है। उन्होंने अपने मालिक से डूब रही कम्पनी को जहाँ तहाँ से उधार करके 16 हजार रूपये में खरीद लिया।
पहले तो बडी दिक्कते आयी लेकिन बादमे उन्होंने प्रोडक्ट रिसर्च की मदद से कम्पनियों को मानो टॉप पर ही पहुंचा दिया और वो सिप्ला जैसी कई बड़ी कम्पनियों से भी आर्डर प्राप्त करने लगे। बीच में एक बार उनकी कम्पनी गलत फैसलों के कारण से दिवालिया भी हो गयी थी लेकिन फिर भी उन्होंने अपने आपको फिर से उठा दिया। उनकी कम्पनी एस डी एल्यूमिनियम ने कई जिंदल जैसी की कपनियो को टक्कर दी और आज वो 1600 करोड़ रूपये के मालिक बने हुए है।