संजय दत्त का जन्म 29 जुलाई 1959 उनके जीवन पर नजर डालें तो उनकी जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। और, तभी तो उनकी बायोपिक बनी फिल्म ‘संजू’ के नाम से। हिंदी सिनेमा में अब तक बनी सारी बायोपिक फिल्मों में से सबसे ज्यादा कमाई भी इसी फिल्म ने की। सुनील दत्त और नरगिस के इस बेटे को हिंदी सिनेमा के दर्शकों ने बेइंतहा प्यार दिया है। फिर चाहे वह परदे पर ‘रॉकी’ बने, अधीरा बने या बने कांचा चीना और शुद्ध सिंह। संजय दत्त के जीवन में तमाम उतार चढ़ाव आए। बहुत सारी मुश्किलें आई। लेकिन हर मुसीबत का सामना करके संजय दत्त ने अपने हालात पर विजय पाई। फिल्ममेकर्स के दुलारे संजय दत्त के जन्मदिन पर आइए आपको बताते हैं कि उनकी फिल्मों के निर्देशक उनके बारे में क्या कहते हैं..
संजय दत्त की पिछले दिनों ‘शमशेरा’ रिलीज हुई है। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफल नहीं रही, लेकिन फिल्म में उनके किरदार को दर्शकों ने खूब पसंद किया है। फिल्म के निर्देशक करण मल्होत्रा कहते है, ’इस फिल्म की शूटिंग के दौरान जब हमें पता चला कि संजय सर कैंसर से जूझ रहे है, तो यह खबर हमारे लिए किसी सदमे से कम नहीं थी। लेकिन सेट पर वह ऐसा बर्ताव कर रहे थे जैसे सब कुछ नार्मल हो, उन्होंने कभी नहीं बताया कि वह किन हालात से गुजर रहे है। संजय सर किसी भी चीज से लड़ सकते हैं, वह हम सबके लिए एक प्रेरणा हैं।
‘सम्राट पृथ्वीराज चौहन’ के निर्देशक डॉक्टर चन्द्रप्रकाश द्विवेदी कहते है, ’हम सब उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंचित थे। ‘सम्राट पृथ्वीराज चौहान की शूटिंग थोड़ी सी बाकी रह गई थी, ऐसे में जब हमें उनकी बीमारी के बारे में पता चला तो चिंता होना स्वाभाविक ही था। लेकिन वह कैंसर को मात देकर शूटिंग पर लौटे और एक योद्धा की तरह काम किया। उन्होंने दिखा दिया कि उनको कोई नहीं रोक सकता। उनकी यह खूबी बाकी लोगों से उन्हें काफी अलग बनाती है।’
निर्माता निर्देशक सुभाष घई पुराने दिनों की याद को साझा करते हुए बताते हैं, ‘फिल्म ‘खलनायक’ की रिलीज के समय संजय दत्त को गिरफ्तार कर लिया गया था। लोगों ने संजय दत्त की गिरफ्तारी के बाद उनकी छवि का फायदा उठाने की सलाह दी लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुनासिब नहीं था। क्योंकि मुझे पता था कि कुछ लोगों ने उनके भोलेपन का फायदा उठाया था। संजय दत्त के लिए वह मुश्किल समय था और उसको फिल्म के लिए इस्तेमाल करना नैतिकता के खिलाफ था। मैं संजय दत्त को 10 साल की उम्र से जानता हूं, वह कोई क्रिमिनल नहीं था, बल्कि अपने भोलेपन की वजह से ट्रैप हो गया था।’
साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हो चुकी ‘केजीएफ 2’ के निर्देशक प्रशांत नील कहते हैं, ‘मेरे लिए इस फिल्म के विलेन सिर्फ और सिर्फ संजय सर ही हो सकते थे। हमने फिल्म की पहली कड़ी बनाने के दौरान ही अधीरा का किरदार लिख लिया था। लेकिन हम उनके पास तब तक नहीं गए जब तक कि ‘केजीएफ’ हिट नहीं हो गई। इसके बाद ही हम उनसे मिले और उनके साथ काम करना ऐसा रहा जैसे हम पिकनिक मना रहे हों। उनकी कास्टिंग अधीरा के रोल के लिए सौ फीसदी परफेक्ट रही। उनके अलावा किसी और कलाकार को मैं इस किरदार में सोच भी नहीं सकता।’
निर्देशक इंद्र कुमार के साथ ‘धमाल’ और ‘डबल धमाल’ में काम कर चुके अभिनेता संजय दत्त जब उनकी अगली फिल्म ‘टोटल धमाल’ में नजर नहीं आए तो ऐसी चर्चा थी कि संजय दत्त ने इस फिल्म में इसलिए काम करने से मना कर दिया था क्योंकि फिल्म अडल्ट कामेडी है। इंद्र कुमार कहते हैं, ‘संजय दत्त ने फिल्म में इसलिए काम करने से मना नहीं किया कि फिल्म अडल्ट कमेडी है, बल्कि उस समय वह कई और फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त थे। हम जल्द ही साथ काम करने वाले हैं। संजय दत्त हमारे लिए हमेशा स्पेशल रहेंगे।’
संजय दत्त के साथ ‘आतिश’, ‘खौफ’, ‘जंग’, ‘मुसाफिर’, ‘कांटे’ जैसी कई फिल्में बना चुके संजय गुप्ता भी अपने इस चहीते हीरो के मुरीद रहे हैं। हालांकि दोनों के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव भी हो गया था और दोनों ने साथ काम करना बंद कर दिया था। लेकिन अब जल्दी ही संजय गुप्ता उन्हें लेकर एक फिल्म शुरू करने वाले है। बीती बातों को भूलकर संजय गुप्ता कहते है, ‘जब मैं ‘आतिश’ बना रहा था और उस समय जब मुझे किसी बड़े स्टार की जरुरत थी तब संजू ने मेरा साथ दिया था। उनके इस अहसान को मैंने जीवन भर नहीं भूल सकता।’
महेश मांजरेकर और संजय दत्त बहुत ही खास दोस्त है। संजय दत्त की बायोपिक को जहां लोगों ने खूब पसंद किया था, वहीं यह फिल्म महेश मांजरेकर को पसंद नहीं आई थी। वह कहते है, ‘मुझे संजय दत्त की बायोपिक देखकर बहुत निराशा हुई थी। अगर मैं इस फिल्म को बनाता तो अलग तरीके से अप्रोच करता। मैंने संजय दत्त की जिन्दगी को बहुत करीब से देखा है, फिल्म में बहुत सारे पहलुओं को शामिल ही नहीं किया गया।’
राजू हिरानी और संजय दत्त के साथ ने ‘मुन्नाभाई एमबीएस’ और ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ के अलावा फिल्म ‘संजू’ मे भी खूब रंग जमाया। जब राजू हिरानी ने संजय दत्त की बायोपिक ‘संजू’ बनाई तो उन्हें डर था कि कहीं फिल्म देखकर संजय दत्त उनकी पिटाई न कर दें। राजू हिरानी कहते है, ‘फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान अचानक मुझे डर लगने लगा कि कहीं संजू फिल्म देखकर मेरी पिटाई ना कर दें, लेकिन फिल्म देखने के बाद संजू मुझे गले लगाकर फूट फूट कर रोने लगे।
संजय दत्त के साथ ‘सन ऑफ सरदार’ में काम कर चुके निर्देशक अश्वनी धीर ने इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा शेयर करते हुए बताया, ‘फिल्म के सभी कलाकारों का लुक हमने डिजाइन कर लिया था। लेकिन संजय दत्त को किस में लुक लिया जाए यह बात समझ में नहीं आ रही थी। फिल्म में संजय दत्त बहुत सख्त व बहन पर अंकुश रखने वाले भाई का किरदार निभा रहे थे। फिर संजय दत्त ने ‘मुझे जीने दो’ में जो लुक उनके पिता सुनील दत्त का किरदार था, उसका सुझाव दिया। हमने वैसा ही लुक दिया और काफी लम्बे समय के बाद संजय दत्त को घोड़े पर बैठाया।’
डेविड धवन और गोविंदा के बीच कैसे रिश्ते रहे हैं, यह तो जगजाहिर है। दोनों ने एक साथ कई हिट फिल्मे दी, लेकिन वही गोविंदा एक छोटी सी बात को लेकर डेविड धवन से नाराज हो गए और टारगेट बन गए संजय दत्त। डेविड धवन कहते हैं, ‘एक और एक ग्यारह’ की शूटिंग के दौरान एक सीन फिल्मा रहा था जो गोविंदा को पसंद नहीं आ रहा था। उन्होंने अपना सुझाव दिया जो मुझे पसंद नहीं आया, तभी संजय दत्त वहां आ गए। उन्होंने मेरा साइड लेते हुए सीन को सही बताया तो यही बात गोविंदा को दिल पर लग गई और वह संजय दत्त से नाराज हो गए। संजय दत्त को लगा कि गोविंदा उनसे बात क्यों नहीं कर रहे। उन्होंने भी बात करने की पहल नहीं की। काफी दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। गोविंदा सेट के एक कोने में तो संजय दत्त दूसरे कोने में बैठते थे।’