अपने ही टीचर को दिल दे बैठे थे कुमार विश्वास, शादी के बाद घर में नहीं हुई एंट्री

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देश के मशहूर कवि कुमार विश्वास युवाओं के दिलों पर राज करते हैं. कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’ जैसी पंक्तियों से लोगों को आप दीवाना बनाने वाले कवि कुमार विश्वास देश के पॉपुलर कवि हैं. कुमार विश्वास ना सिर्फ़ कविताओं के लिए बल्कि राजनीति पर अपनी बेबाक़ टिप्पणियों की वजह से भी चर्चा में रहते हैं.

12वीं के बाद कुमार विश्वास के माता-पिता उन्हें एक इंजीनियर बनाना चाहते थे. पिता के कहने पर कुमार विश्वास ने इंजीनियरिंग में एडमिशन भी करवाया, लेकिन उनका मन टेक्निकल की पढ़ाई में नहीं रमा. कुमार विश्वास के पिता चंद्रपाल शर्मा, आरएसएस डिग्री कॉलेज पिलखुवा में प्रवक्ता थे.

इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ हिंदी की पढ़ाई करने के बाद साल 1994 में राजस्थान से उन्होंने हिंदी प्रवक्ता के रूप में अपनी नौकरी शुरू की, यहीं पर कुमार विश्वास की पहली मुलाक़ात मंजू से हुई, जो उसी कॉलेज में एक प्रवक्ता थी. यह मुलाक़ात कब प्यार में बदल गयी, दोनो को पता नहीं चला. कुआमर विश्वास ने मंजू के लिए कविताएं लिखने की शुरुआत की.

मंजू का राजस्थान के अजमेर में घर होने से कुमार विश्वास उनसे मुलाक़ात करने जया करते थे. धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया और फिर बात शादी तक पहुंची. कुमार विश्वास इस बात को जानते थे जाति अलग होने की वजह से उनके घर में इसका विरोध होगा, इसलिए दोनों ने कुछ दोस्तों ईक मद्द से पहले कोर्ट में फिर मंदिर जाकर शादी कर ली. शादी के बाद दोनों ने घर वालों को सूचना दे दी. परिवार में इस शादी का कड़ा विरोध हुआ. जिसके बाद दोनों किराए के मकान में रहने लगे.

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